Space Telescope (H)

इस वीडियो से हम खगोलविज्ञान में एक्स-रे तरंगों के महत्व के बारे में विस्तार से जान सकेंगे। 1895 में जर्मन भौतिकविद् रोंटेजन ने एक्स-रे की खोज करके हमें कुछ अद्भुत किरणें दी। ऐसी किरणें जिन्हें हम दृश्य में बदल सकते थे। आज चिकित्सा विज्ञान में एक्स-रे को आंतरिक अंगों के अध्ययन में उपयोग किया जाता है। आज हम यह भी जानते हैं कि ब्रह्माण्ड में अनेक पिंड एक्स-रे विकिरण छोड़ते हैं और जिनके जरिए ब्रह्माण्ड के बारे में और अधिक जाना जा सकता है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान राकेट के जन्म के साथ ही एक्स-रे एस्ट्रोनॉमी की भी शुरूआत हो पायी। एक्स-रे के रूप में ब्रह्माण्ड से दृष्य प्रकाश के मुकाबले 10,000 गुणा ज़्यादा ऊर्जा उत्सर्जित होती है। एक्स-रे किरणों से ही हमें पता चल पाया कि मन्दाकिनियों के बीच हमें जो जगह खाली दिखाई देती है वहां वास्तव में बहुत ही गर्म गैसें मौजूद हैं जिनका तापमान सूर्य के तापमान से भी करोड़ों गुणा ज़्यादा है। एक्स-रे के अध्ययन के लिए एक और पहल तब शुरू हुई जब नासा ने 1999 में इनके अध्ययन के लिए एक अंतरिक्षयान प्रक्षेपित किया जिससे एक्स-रे एस्ट्रोनॉमी में एक क्रांति लाने की आशा की गई। भारत के लिए यकीनन यह अविस्मरणीय था क्योंकि भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता स्वर्गीय सुब्रमण्यम चंद्रशेखर के नाम पर इसका नाम चन्द्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी रखा गया था। वैज्ञानिकों ने किरणों के रहस्यमय खोजों में कई सफल अभियान पूरे किये पर अभी भी अंतरिक्ष के गहन संसार के बारे में जानकारी अधूरी है. ऐसे कई रहस्य है जिन्हें खोजा जाना बाकी है।

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